मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज मुख्यमंत्री आवास स्थित गौशाला में गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर गौमाता की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेश की खुशहाली, समृद्धि और जन कल्याण की कामना करते हुए कहा कि गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि यह प्रकृति संरक्षण और मानव-जीव मैत्री का प्रतीक भी है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, “गोवर्धन पूजा हमें अपनी संस्कृति, परंपरा और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहने की प्रेरणा देती है। यह पर्व गायों के प्रति हमारी श्रद्धा और संरक्षण के संकल्प को मजबूत करता है।”
गौमाता: सनातन संस्कृति और आत्मनिर्भरता का आधार
मुख्यमंत्री ने कहा कि गाय को हिंदू धर्म में माता का दर्जा प्राप्त है और वह सनातन संस्कृति, कृषि और ग्रामीण जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि गौसेवा सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि कई परिवारों की आजीविका और आत्मनिर्भरता से भी जुड़ी हुई है।
“गाय पालन और गौसेवा से कई घरों का भरण-पोषण होता है। गौ-संवर्धन धार्मिक भावना के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है,” उन्होंने कहा।
गौ-संरक्षण के लिए सरकार की योजनाएं
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार निराश्रित गौवंश के संरक्षण के लिए गौ सदनों के निर्माण और संचालन को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने जानकारी दी कि:
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पहले जहां 5 रुपये प्रति पशु प्रति दिन का प्रावधान था, अब उसे बढ़ाकर 80 रुपये प्रति पशु प्रति दिन कर दिया गया है।
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निजी गौशालाओं के निर्माण पर राज्य सरकार 60% सब्सिडी दे रही है।
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वर्तमान में प्रदेश में 54 गौ सदनों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
मुख्यमंत्री ने सभी नागरिकों से गायों की सेवा, सुरक्षा और संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करने की अपील की।
गोवर्धन पूजा के इस पावन अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश न केवल धार्मिक आस्था को बल देता है, बल्कि प्राकृतिक संतुलन, जीव-जंतुओं से सह-अस्तित्व और आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक प्रेरक संदेश देता है। राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से निश्चित ही उत्तराखंड में गौ-संवर्धन और पशु कल्याण को नई दिशा मिलेगी।